हरियाणा में धान, बाजरा, मूंग और मक्का की सरकारी खरीद की तिथि घोषित: जानें पूरी जानकारी
राज्य सरकार ने इस घोषणा के जरिए यह साफ किया कि धान, बाजरा, मूंग और मक्का की फसलें किसानों से सरकारी मूल्य पर खरीदी जाएंगी।
हरियाणा के किसानों के लिए बड़ी खबर आई है। राज्य सरकार ने खरीफ फसलों की सरकारी खरीद के लिए तारीखों का एलान कर दिया है। धान, बाजरा, मूंग और मक्का जैसी महत्वपूर्ण फसलों की खरीद जल्द शुरू होने वाली है। यह खबर किसानों के लिए राहत देने वाली है, खासकर जब खरीफ की फसल पूरी तरह से पकने के करीब है।
राज्य सरकार ने इस घोषणा के जरिए यह साफ किया कि धान, बाजरा, मूंग और मक्का की फसलें किसानों से सरकारी मूल्य पर खरीदी जाएंगी। यह सरकारी खरीद 20 सितंबर से लेकर 15 नवंबर तक चलेगी, जिससे किसानों को अपनी फसल बेचने का पर्याप्त समय मिलेगा।
धान की सरकारी खरीद 23 सितंबर से शुरू
हरियाणा में धान की फसल के लिए सरकार ने 23 सितंबर से सरकारी खरीद की घोषणा की है। इस खरीद प्रक्रिया के लिए राज्य में 241 मंडियां और खरीद केंद्र बनाए गए हैं। धान की खरीद की यह प्रक्रिया 15 नवंबर तक चलेगी। इस सरकारी व्यवस्था से किसानों को अपनी धान की फसलें सही समय पर बेचने का अवसर मिलेगा। किसानों को सलाह दी गई है कि वे अपनी धान की फसल को इन निर्धारित केंद्रों पर लेकर आएं और सरकारी समर्थन मूल्य का लाभ उठाएं।
बाजरा और मूंग की खरीद एक अक्टूबर से शुरू
सरकार ने बाजरा और मूंग की फसल की खरीद के लिए भी तारीखों का एलान किया है। यह खरीद प्रक्रिया एक अक्टूबर से शुरू होगी और 15 नवंबर तक चलेगी। बाजरा और मूंग की फसलें इस समय अच्छी हालत में हैं और किसानों को उम्मीद है कि सरकारी खरीद से उन्हें बेहतर मूल्य मिलेगा। राज्य के अलग-अलग हिस्सों में मंडियों और खरीद केंद्रों पर यह फसलें बेची जा सकेंगी।
मक्का की खरीद 20 सितंबर से
मक्का की फसल की सरकारी खरीद 20 सितंबर से शुरू होगी। मक्का के किसानों के लिए यह एक बड़ी राहत की खबर है, क्योंकि मक्का की फसलें इस समय पूरी तरह से तैयार हो चुकी हैं। 15 नवंबर तक चलने वाली इस सरकारी खरीद प्रक्रिया के जरिए किसान अपनी मक्का की फसल बेच सकेंगे। इससे बाजार में कीमतों के अस्थिरता से बचा जा सकेगा और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का फायदा मिलेगा।
खरीद प्रक्रिया के लिए तैयारियां
राज्य सरकार ने खरीफ फसलों की सरकारी खरीद के लिए व्यापक तैयारियां की हैं। खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा ने बताया कि हरियाणा में किसानों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए 241 मंडियों और खरीद केंद्रों को सक्रिय किया गया है। इन केंद्रों पर किसानों की फसलें बिना किसी परेशानी के खरीदी जाएंगी। इसके अलावा, सरकार ने किसानों को यह भी भरोसा दिलाया है कि उनकी फसलों का मूल्य समय पर उनके खातों में जमा किया जाएगा।
किसानों के लिए सरकारी नीतियों का फायदा
हरियाणा की सरकार किसानों के हितों के प्रति संवेदनशील है। सरकार द्वारा समय-समय पर लागू की गई योजनाओं और नीतियों से किसानों को बड़ी राहत मिलती रही है। इस बार भी सरकार ने किसानों की फसल की सही कीमत सुनिश्चित करने के लिए यह सरकारी खरीद प्रक्रिया शुरू की है। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का लाभ मिलेगा, जिससे उन्हें बाजार में होने वाली कीमतों की अस्थिरता से बचाया जा सकेगा।
सरकार की यह घोषणा किसानों के लिए बड़ी राहत लेकर आई है। खरीफ की फसलें, खासकर धान, बाजरा, मूंग और मक्का की फसलें इस समय पूरी तरह से तैयार हैं। सरकारी खरीद प्रक्रिया शुरू होने से पहले किसानों को सलाह दी जा रही है कि वे अपनी फसल की पूरी तैयारी कर लें और समय पर मंडियों में जाकर सरकारी खरीद केंद्रों का लाभ उठाएं।
मंडियों की स्थिति
हरियाणा के हर जिले में सरकारी खरीद केंद्र खोले गए हैं। इन केंद्रों पर किसानों से धान, बाजरा, मूंग और मक्का की खरीद की जाएगी। मंडियों और खरीद केंद्रों की संख्या में इस बार इजाफा किया गया है ताकि किसी भी किसान को फसल बेचने में समस्या न हो। सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि किसानों को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो और उनकी फसलें बिना किसी देरी के खरीदी जाएं।
न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ
सरकार ने किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) देने का वादा किया है। इसका मतलब है कि किसानों को उनकी फसल के लिए एक निश्चित मूल्य मिलेगा, जो बाजार की कीमतों से सुरक्षित रहेगा। यह सरकारी पहल किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है, खासकर उन किसानों के लिए जिनकी फसलें मौसम या अन्य कारणों से प्रभावित हुई हैं।
सरकार द्वारा घोषित तिथियों के अनुसार, धान की खरीद 23 सितंबर से शुरू होगी, जबकि बाजरा और मूंग की खरीद एक अक्टूबर से शुरू होगी। मक्का की खरीद 20 सितंबर से शुरू की जाएगी। किसानों को इन तिथियों का ध्यान रखना चाहिए और अपनी फसलें मंडियों में लेकर आना चाहिए।
इस सरकारी निर्णय से किसानों को निश्चित रूप से राहत मिलेगी और वे अपनी मेहनत का सही मूल्य प्राप्त कर सकेंगे।